Bhoramdev Wildlife Sanctuary
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधता का अनमोल खजाना है। 352 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य कान्हा–अचानकमार कॉरिडोर का अभिन्न हिस्सा है, जो वन्यजीवों, विशेष रूप से बाघों की आवाजाही और आनुवंशिक आदान–प्रदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह स्थल विविध वनस्पतियों और जीवों के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण से परिपूर्ण है, जो इसे एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास और इको–पर्यटकों के लिए लोकप्रिय गंतव्य बनाते हैं।
भोरमदेव कई दुर्लभ और आकर्षक स्तनधारी प्रजातियों का घर है, जो इसकी समृद्ध जैव विविधता को बढ़ाते हैं:
यह अभयारण्य बंगाल के बाघों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है, जो इसे पारिस्थितिक महत्व का प्रतीक बनाता है।
ये मायावी शिकारी अभयारण्य में गहराई से निवास करते हैं, जो शिकारी श्रंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अभयारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ये सर्वाहारी प्रजाति हर कोने में दिखाई देती है।
विशाल और ताकतवर सांभर हिरण अक्सर घास के मैदानों में नजर आते हैं, जो बाघ और तेंदुए जैसे शिकारियों का प्रमुख आहार हैं।
भोरमदेव पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है, जहां अनेक पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
अपने काले पंख और कलाबाज़ी उड़ान के लिए प्रसिद्ध, ड्रोंगो अभयारण्य में एक शानदार नजारा प्रस्तुत करते हैं।
जलाशयों के पास किंगफिशर की कई प्रजातियाँ अपने चमकीले रंगों के साथ अभयारण्य में रंग भरती हैं।
इनमें ग्रेटर फ्लेमबैक प्रमुख है, जो अपनी तेज़ ढोल बजाने की आवाज़ से जंगलों में अनूठा माहौल बनाता है।
भोरमदेव का सरीसृप संसार भी विविधता से परिपूर्ण है
ये बड़ी छिपकलियाँ अक्सर धूप सेंकते हुए देखी जाती हैं, जो अभयारण्य की विविधता में इजाफा करती हैं।
भोरमदेव की जैव विविधता में तितलियाँ एक विशेष स्थान रखती हैं। ये अभयारण्य की सुंदरता और पारिस्थितिकी तंत्र को और भी समृद्ध करती हैं
हल्के नीले धब्बों के साथ गहरे नीले पंखों वाली यह तितली जल स्रोतों के पास एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है।
यह तितली अपनी खूबसूरती और अनोखे पैटर्न के लिए जानी जाती है। इसके पंखों पर बने अद्वितीय नक़्शे के आकार के निशान इसे अन्य तितलियों से अलग बनाते हैं।