भोरमदेव मंदिर: छत्तीसगढ़ का खजुराहो
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में स्थित भोरमदेव मंदिर, जिसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहा जाता है, भारतीय प्राचीन वास्तुकला और संस्कृति की एक अद्भुत धरोहर है।
सतपुड़ा पहाड़ियों की मैकाल श्रृंखला में बसे इस मंदिर का निर्माण 7वीं से 11वीं शताब्दी के बीच नागवंशी राजाओं द्वारा करवाया गया था।
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक और कलात्मक परंपराओं का अद्वितीय संगम है।
भोरमदेव मंदिर अपनी बेजोड़ वास्तुकला और जटिल मूर्तियों के लिए जाना जाता है, जो मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिरों की याद दिलाते हैं।
बलुआ पत्थर और लेटराइट से निर्मित यह मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली और दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली का खूबसूरत मिश्रण है।
मुख्य मंदिर के चारों ओर कई छोटे मंदिर हैं, जिनमें देवी–देवताओं और पौराणिक दृश्यों की बेहतरीन नक्काशी है।
मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है, और मंदिर का शिखर हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में पवित्र पर्वत मेरु का प्रतीक है।
भोरमदेव मंदिर की विशेषता इसके शिल्प कौशल से सजाए गए कामुक शिल्प हैं, जिन्हें तांत्रिक परंपराओं से प्रेरित माना जाता है। ये मूर्तियाँ ब्रह्मांडीय संतुलन को दर्शाती हैं, जहां पुरुष और स्त्री सिद्धांतों का मिलन होता है। ये मूर्तियाँ न केवल शारीरिक प्रेम का चित्रण करती हैं, बल्कि आध्यात्मिक और गहरे दार्शनिक विचारों से भी जुड़ी हुई हैं, जो जीवन के उत्सव और दिव्य मिलन की भावना को प्रकट करती हैं।
भोरमदेव मंदिर न केवल वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण है, बल्कि धार्मिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि के समय यहां हजारों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। इस मंदिर का शांत वातावरण और आसपास की हरी–भरी पहाड़ियाँ श्रद्धालुओं को गहरे आध्यात्मिक अनुभव से भर देती हैं।
यह मंदिर नागवंशी राजाओं के संरक्षण में विकसित हुआ और विभिन्न राजवंशों के द्वारा इसका विस्तार और अलंकरण किया गया। मंदिर की नक्काशी और शिलालेख उस समय की सामाजिक और धार्मिक जीवनशैली को दर्शाते हैं और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं।
धार्मिक महत्त्व के अलावा, भोरमदेव मंदिर वास्तुकला प्रेमियों, इतिहास के शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण है। मैकाल पहाड़ियों के प्राकृतिक सौंदर्य में बसा यह मंदिर ट्रैकिंग, प्राकृतिक सैर और आसपास की जैव विविधता की खोज के लिए आदर्श स्थान है। निकट ही भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य भी स्थित है, जो इसे पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाता है।
भोरमदेव मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ की गौरवशाली धरोहर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का एक चमकता उदाहरण है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता का संगम प्रस्तुत करता है।